1970 से आज तक देश में भ्रष्टाचार के विरूद्ध लगातार कई जनान्दोलन हुए और लड़ाईयाँ लड़ी गयीं। पर आप दोनों ने मीडिया का पूरा उपयोग करके देशभर में उम्मीद जगा दी है कि आप देश से भ्रष्टाचार को मिटा देंगे और विदेशों में जमा धन वापस ले आयेंगे। इसके लिए हम आपको बधाई देते हैं।
रामदेव जी आपने पिछले कुछ वर्षों से लगातार भ्रष्टाचार के विरूद्ध और बाहर से धन वापिस लाने के लिए देश में एक माहौल बनाया। 27 फरवरी, 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में आप सबने एक ऐतिहासिक रैली की। जिससे यह सन्देश गया कि अब देश उठ खड़ा होगा और आप लोगों के सद्प्रयास से देशवासियों को इन दो बुराईयों से मुक्ति मिलेगी।
अन्ना हजारे जी 27 फरवरी को उसी मंच से आपने जन्तर मन्तर पर अपने उपवास और धरने की कोई घोषणा नहीं की। जबकि उसी समय में आपने अपने करीबी लोगों से दिल्ली में अपने उपवास की चर्चा की थी। अगर उसी मंच पर घोषणा की होती तो सबके साझे प्रयास से देश में बड़ा भारी माहौल बनता। यह चर्चा नहीं होती कि अन्ना हज़ारे और रामदेव अलग-अलग चल रहे हैं और स्वार्थी तत्व इस स्थिति का फायदा नहीं उठा पाते। आप अपने इस आचरण के लिए देश की जनता के प्रति जबावदेह हैं।
आपके धरने की उपलब्धि यही रही कि आप लोगों ने सरकार के साथ मिलकर लोकपाल विधेयक को समयबद्ध कार्यक्रम के तहत बनाना तय किया। आपका समूह यह दावा करता रहा है कि जनलोकपाल विधेयक को आप लोगों ने कई वर्षों से, कड़ी मेहनत से, गहरी कानूनी समझ से, दूरदृष्टि से, सभी सम्भावनाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार कर रखा था। जिसे आपने देश के सामने भी प्रस्तुत किया।
अपने विधेयक को सरकारी समिति के सामने प्रस्तुत करने के बाद अब आपकी कोई भूमिका नहीं बचती। फिर ये बार-बार मीटिंग का नाटक क्यों किया जा रहा है? क्यों मीडिया का इस्तेमाल करके, मुद्दे से हटा जा रहा है? आखिर आपका एजेण्डा क्या है? हमारा सुझाव है कि अब आप पाँच लोग इन सरकारी मीटिंगों का सिलसिला यहीं खत्म करें। अगर सरकार में आपका विश्वास है तो वह आपके विधेयक को गम्भीरता से लेगी और अगर आपका विश्वास नहीं है तो आप बैठक में कुछ नहीं कर सकते। इसलिए इस समिति को फौरन भंग करें। क्योंकि आपने अपनी भूमिका अदा कर दी है।
हाँ, आपके विधेयक के सम्बन्ध में हमारे कुछ सुझाव हैं -
1. लोकपाल अगर भ्रष्ट आचरण करे तो उसके लिए इसी विधेयक में अनुकरणीय सख्त सजा का प्रावधान कर देना चाहिए।
2. सिविल सोसाइटी को भी लोकपाल के दायरे में लाया जाए। क्योंकि सिविल सोसाइटी के अधिकतम लोग विदेशी पैसे से और विदेशी नीतियों के अनुसार काम करते हैं। जो प्रायः हमारे देश के हित में नहीं होतीं।
3. संयुक्त राष्ट्र संगठन की इकाईयाँ, विश्व बैंक, विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ और विदेशी बहुराष्ट्रीय बैंकों के भारत में कार्यकलापों को भी लोकपाल के दायरे में लाना अत्यंत आवश्यक है। नौकरशाही व राजनेताओं पर अनुचित दबाव डालकर ये संस्थाऐं हमारे देश में नीतिगत परिवर्तन करवाती हैं। जिसके कारण कई बड़े घोटालों में इनकी गम्भीर भूमिका पायी गयी है।
रामदेव जी आपकी लड़ाई का सबसे बड़ा मुद्दा विदेशों में जमा धन है। आप कहते हैं कि चार सौ लाख करोड़ रूपया विदेशों में जमा है। एक जिम्मेदार और देशभक्त नागरिक होने के नाते आपका यह कर्तव्य बनता है कि ऐसा दावा करने से पहले उसके समर्थन में सभी तथ्यों को जनता के सामने प्रस्तुत करें। अगर आप इन तथ्यों को प्रकाशित नहीं करना चाहते तो कम से कम यह आश्वासन देश को जरूर दें कि इस दावे के समर्थन में आपके पास समस्त प्रमाण उपलब्ध हैं। अन्यथा यह बयान गैर जिम्मेदाराना माना जाएगा और देश की आम जनता के लिए बहुत घातक होगा, जिसे आपने सुनहरा सपना दिखा दिया है।
विदेशों में जमा धन देश में लाकर गरीबी दूर करने का बयान आप दे रहे हैं और सपने दिखा रहे हैं, वैसा तो होने वाला नहीं है। पहली बात यह धन आप नहीं सरकार लायेगी, चाहें वह किसी भी दल की हो और उसे खर्च भी वही सरकार करेगी। तो आप कैसे उस पैसे से गरीबी दूर करने का दावा करते हैं? आप कहते हैं कि विदेशों से यह धन लाकर आप देश में विकास कार्यों की रफ्तार तेज करेंगे। शायद आप जानते ही होंगे कि इस तरह के अंधाधुंध व जनविरोधी विकास कार्यों से ही ज्यादा भ्रष्टाचार पनपता रहा है। फिर आप देश की जमीनी हकीकत को अनदेखा क्यों करना चाहते हैं? आप गरीबी दूर करने की बात करते हैं और आपका एजेण्डा तो योग व आयुर्वेद को भी व्यापार की तरह चलाने का है। फिर गाँव और गरीब को आप कैसे आत्मनिर्भर बनायेंगे? आप तो भारत की सनातन संस्कृति का ही निगमीकरण कर रहे हैं और धन का केन्द्रीयकरण कर रहे हैं। इससे गरीबी कैसे मिटेगी? कृपया देश को समझायें। जिससे कोई भ्रम न रहे।
रामदेव जी अनेक मुद्दों पर आपके अनेक बयान बिना गहरी समझ के, जाने-अनजाने भावनाऐं भड़का रहे हैं। इससे आम जनता में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। कृपया इससे बचें।
आपने बयान दिया है कि आपकी लड़ाई व्यवस्था परिवर्तन की है, सत्ता परिवर्तन की नहीं। तो क्या यह माना जाए कि आप अपने इस बयान पर भविष्य में भी कायम रहेंगे? हम आपको गत् 2 वर्षों से चेतावनी देते आये हैं कि देश की राजनैतिक जटिलताओं को समझे बिना परिवर्तन की लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। पर आपने इस चेतावनी को गम्भीरता से नहीं लिया। ताजा घटनाक्रम इसका प्रमाण है।
अन्ना हजारे जी और रामदेव जी, हम आप दोनों को एक साथ मानते हैं और इसलिए आपको यह याद दिलाना चाहते हैं कि आतंकवादी ताकतें, माओवादी ताकतें और साम्प्रदायिक ताकतें विदेशी ताकतों के हाथ में खेलकर इस देश में ‘सिविल वॉर’ की जमीन तैयार कर चुकी हैं। जरा सी अराजकता से चिंगारी भड़क सकती है। इन ताकतों से जुड़े कुछ लोग आपके खेमों में भी घुस रहे हैं। इसलिए आपको भारी सावधानी बरतनी होगी। कहीं ऐसा न हो कि आपकी असफलता जनता में हताशा और आक्रोश को भड़का दे और उसका फायदा ये देशद्रोही ताकतें उठा लें। इन परिणामों को ध्यान में रखकर ही अपनी रणनीति बनायें तो देश और समाज के लिए अच्छा रहेगा। यह हमारा पहला खुला पत्र है। आने वाले दिनों में हम आपसे यह संवाद जारी रखेंगे। कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनमें बिना सोचे-समझे बयानबाजी करके आप दोनों गुटों ने देश के सामने विषम परिस्थितियाँ पैदा कर दी हैं। जिनके खतरनाक परिणाम सामने आने वाले हैं।
विनीत नारायण पुरूषोत्तमन मुल्लोली
वरिष्ठ पत्रकार सोशल एक्टिविस्ट
www.vineetnarain.net जैक इण्डिया, कन्नूर (केरल)
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